January 19th, 2010 by Smash Fascism | 7 Comments
हिन्दुत्ववादी फ़ासिस्टों की एक पुरानी तरकीब है जो लगभग हमेशा कामयाब होती है. साक्षर परन्तु अल्प-शिक्षित निम्न मध्य-वर्ग और मध्य-वर्ग को अपील करने वाले कुछ वाक्यांश, कविताओं के टुकड़े या ऎसी ही कोई अन्य शब्दावली जनता के बीच फेंक कर उसे तब तक दुहराते रहते हैं जब तक वह जनता के एक हिस्से की चेतना का हिस्सा न बन जाय
November 20th, 2009 by Smash Fascism | 11 Comments
तहलका के जून अंक में बजरंग दल के एक कैंप पर तुषा मित्तल की रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी। हमारे ब्लॉगर साथी अमर ने उस टिप्पणी का अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद करके भेजा है, जिसे ‘बर्बरता के विरुद्ध’ पर पोस्ट किया जा रहा है। साथी अमर ‘बर्बरता के विरुद्ध’ के लिए लगातार सहयोग कर रहे हैं। और उनके इस […]
July 18th, 2009 by Smash Fascism | 23 Comments
हमारे देश में सांप्रदायिकता से लड़ने वाले अग्रजों की कतार में निस्संदेह सबसे ऊपर शहीद गणेशशंकर विद्यार्थी का नाम लिया जा सकता है। वे हमें याद दिलाते हैं कि अपने विचारों के लिए जीना क्या होता है और प्रतिबद्धता के मायने क्या होते हैं। एक ऐसे दौर में जबकि मानवता के खिलाफ मानवद्रोही सांप्रदायिक ताकतें […]
June 27th, 2009 by Smash Fascism | 32 Comments
सन 1947 में भारत आज़ाद हो गया था और उसके बाद धर्मनिरपेक्षता को हमारे संविधान के एक अंग के रूप में अपनाया गया। लेकिन आज भी हमारे देश में भाषाई, जातीय, और धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। व्यक्तिगत रूप से मैं किसी ईश्वर या धर्म को नहीं मानता लेकिन यह जरूरत […]