बर्टोल्ट ब्रेख्त के फासीवाद विरोधी 7 नाटक – ख़ौफ़ की परछाइयां
April 16th, 2016 by Smash Fascism | No Comments
बर्टोल्ट ब्रेख्त के फासीवाद विरोधी 7 नाटक – ख़ौफ़ की परछाइयां
April 16th, 2016 by Smash Fascism | No Comments
बर्टोल्ट ब्रेख्त के फासीवाद विरोधी 7 नाटक – ख़ौफ़ की परछाइयां
June 10th, 2014 by Smash Fascism | 2 Comments
अंधेरा ही उनकी ताकत है / और छटा नहीं है अभी अंधेरा /
वे लौटते रहेंगे रौशनी होने तक / हर बार और उतावले / और खूंखार होकर
उनका और खूंखार हो जाना ही / उनकी कमजोरी का परिचायक होगा
February 1st, 2012 by Smash Fascism | No Comments
जर्मनी में
जब फासिस्ट मजबूत हो रहे थे
और यहां तक कि
मजदूर भी
बड़ी तादाद में
उनके साथ जा रहे थे
हमने सोचा
हमारे संघर्ष का तरीका गलत था
और हमारी पूरी बर्लिन में
लाल बर्लिन में
नाजी इतराते फिरते थे
चार-पांच की टुकड़ी में
हमारे साथियों की हत्या करते हुए
December 18th, 2011 by Smash Fascism | 1 Comment
जब तक अंग्रेज भारत में रहे, नाथूराम का आंदोलन पूरी तरह अहिंसक रहा। इतना कि देश में किसी को पता भी नहीं था कि यहा कोई नाथूराम रहता है।
अंग्रेजों के जाते ही और भारत के आज़ाद होते ही नाथूराम मुखर होकर आंदोलित हो गया। उसकी पिस्तौल एकाएक जागरुक हो गयी। गोलियां आज़ादी के गीत गाने लगीं। जिस नाथूराम ने कभी किसी अंग्रेज का बाल भी बांका नहीं किया था उसने बिना किसी सुरक्षा के चलने वाले निहत्थे बूढ़े पर गोलियां दाग़ दीं।
October 28th, 2010 by Smash Fascism | 2 Comments
May 31st, 2010 by Smash Fascism | 5 Comments
फासिस्ट ताकतें किसी भी धर्म या देश की हों, वे अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने का मौका तलाशती रहती हैं। वैसे सालों साल अल्पसंख्यकों के खिलाफ़ ज़हर उगलने का प्रचार अभियान तो जारी रहता ही है। यह हालत भारत में ही नहीं बल्कि पाकिस्तान में भी है, वहां के मुस्लिम कट्टरपंथी अल्पसंख्यकों की हत्याएं करना, तरह […]
May 16th, 2010 by Smash Fascism | 13 Comments
ईश्वर की सत्ता में यकीन रखने वाले मित्रों से एक अपील!!! आनंद सर्वशक्तिमान,सर्वज्ञानी, सर्वत्र परमपिता परमेश्वर जिनकी मर्ज़ी के बिना पत्ता भी नहीं हिल सकता,उनकी सत्ता में यकीन रखने वाले मेरे धार्मिक मित्रों!मेरी तरफ़ से अपने परमपिता से कुछ सवाल करोगे क्या? मुझे तो अधर्मी, काफ़िर होने के संगीन जुर्म मेंबिना सुनवाई के, हिटलरशहाना अंदाज़ […]
March 4th, 2010 by Smash Fascism | 10 Comments
अमर ज्योति तसलीमा नसरीन एक बार फिर चरचा में हैं। इस बार मुद्दा है कर्नाटक के किसी अख़बार में प्रकाशित उनके किसी लेख का कथित अनुवाद। कथित इस लिये क्योंकि स्वयं तसलीमा ने उक्त अख़बार के लिये ऐसा कोई लेख लिखने से इन्कार किया है। उन्होंने लिखा या नहीं यह एक अलग जांच का विषय […]
February 22nd, 2010 by Smash Fascism | 5 Comments
एक वर्ष पहले अपने ब्लॉग शब्दों की दुनिया पर गौरव सोलंकी की एक कविता पोस्ट की थी, कविता इस ब्लॉग के मिजाज के अनुकूल है, इसलिए दोबारा यहां पेश कर रहा हूं…कुछ लोगों ने इस कविता को गौरव की निराशा बताया तो, किसी ने इस पर कविता के मानदंडो पर खरा नहीं उतरने का आरोप […]
August 15th, 2009 by Smash Fascism | 4 Comments
(1947 में हमारे दिलों पर एक लकीर—बल्कि चीरा—खींच दिया गया था। दुनिया की बड़ी ताकत और उनकी छोटे साझीदारी ताकतों द्वारा देश के आम अवाम को जर्बदस्ती हिन्दुस्तान और पाकिस्तान नाम के दो मुल्क में बांट दिया गया था। उनके फायदे उनके लिए थे। लेकिन इंसानियत ने इस फायदे का खूनी नुकसान झेला। लाखों लोगों […]
August 13th, 2009 by Smash Fascism | 4 Comments
‘चरणदास चोर’ नाटक पर रोक लगने पर कुछेक लोगों के लिखने-बोलने के अलावा आमतौर पर चुप्पी छाई हुई है। लगता है अब तमाम प्रतिष्ठित प्रगतिशीलों के लिए हबीव के नाटक पर रोक लगने का विरोध करना भी दायरे से बाहर की चीज हो गया है। सांप्रदायिकता के विरोध पर बड़े-बड़े भाषण देने वाले ऐसे तमाम […]
August 1st, 2009 by Smash Fascism | 5 Comments
हमारे मित्र रविकुमार ने, जो ‘सृजन और सरोकार‘ ब्लॉग के संचालक भी हैं, ‘बर्बरता के विरुद्ध’ के हेडर के लिए एक रेखांकन तैयार किया है। उन्होंने कुछ और भी रेखाचित्र भेजे हैं जिन्हें हम अगली पोस्टों के साथ इस्तेमाल करेंगे। हम साथी रविकुमार के आभारी हैं। फ़ासीवाद के विरुद्ध इस ब्लॉग के लिए और मित्र […]