September 3rd, 2017 by Smash Fascism | No Comments
संघियों के वैचारिक गुरू गोयबल्स का कहना था कि अगर एक झूठ को बार-बार बोला जाये तो वो सच बन जाता है। भारत के संघी इस संदेश पर अमल करते हैं। भारत के संघियों का वैचारिक नारा है – तुम एक झूठ पकड़ोगे, हम हजारों झूठ बोलेंगे।
September 8th, 2014 by Smash Fascism | No Comments
साथ ही इस तरह के मिथक हिंदू महिलाओं की असहायता, नैतिक मलिनता और दर्द को उजागर करते हुए उन्हें अक्सर मुसलमानों के हाथों एक निष्क्रिय शिकार के रूप में दर्शाते हैं.
June 12th, 2014 by Smash Fascism | No Comments
When a German delegation visited Gujarat (April 2010), one of the members of the delegation pointed out that he was shocked by parallels between Germany under Hitler and Gujarat under Modi. Incidentally in Gujarat school books Hitler has been glorified as a great nationalist. ( http://deshgujarat.com/2010/04/10/german-mps-mind-your-own-business/). The similarities with Hitler don’t end here. Like Hitler, Modi enjoys the solid support from the corporate World.
June 9th, 2014 by Smash Fascism | 5 Comments
मिथक 8: हिंदू जम्मू-कश्मीर में भूमि नहीं खरीद सकते हैं।
कोई भी ग़ैर कश्मीरी, जम्मू कश्मीर में ज़मीन नहीं खरीद सकता, जैसे कि कोई ग़ैर हिमाचली, हिमाचल प्रदेश में ज़मीन नहीं खरीद सकता है, नागालैंड में बाहरी लोग बिना इजाज़त प्रवेश नहीं कर सकते हैं, ग़ैर उत्तराखंडी, उत्तराखंड में सिर्फ छोटे निवास भूखंड ही खरीद सकते हैं, यही नहीं देश के कई इलाकों में स्थानीय आबादी के हितों की रक्षा के लिए इस तरह के क़ानून लागू हैं। इस मुद्दे का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है।
June 5th, 2014 by Smash Fascism | No Comments
In a careful analysis, Puniyani looks at India’s recent election and its Prime Minister-elect Narendra Modi. The BJP’s nationalism is strong wherever religious hostilities are intense. A call for change to the election system is in order.
June 5th, 2014 by Smash Fascism | No Comments
राम पुनियानी
डाक्टर नरेन्द्र दाभोलकर की क्रूर हत्या (20 अगस्त 2013), अंधश्रद्धा व अंधविश्वास के खिलाफ सामाजिक आंदोलन के लिए एक बड़ा आघात है। पिछले कुछ दशकों में तार्किकता और सामाजिक परिवर्तन को बढ़ावा देने का काम मुख्यतः जनविज्ञान कार्यक्रम कर रहे हैं। महाराष्ट्र में इसी आन्दोलन से प्रेरित हो ’‘अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति’’ का गठन किया गया,जिसने डाक्टर नरेन्द्र दाभोलकर के नेतृत्व में जनजागरण का प्रभावी अभियान चलाया।
September 6th, 2011 by Smash Fascism | 1 Comment
सेंटर फॉर अमेरिकन प्रॅाग्रेस द्वारा पिछले शुक्रवार को जारी एक खोजी रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में मुसलमानों का ख़ौफ़ फैलाने के लिए चलायेगये दस साल लंबे अभियान के पीछे एक छोटा सा समूह है जिसमें एक दूसरे से ताल्लुकरखने वाले कुछ संस्थान, ‘थिंक टैंक’, बुद्धिजीवी और ‘ब्लॉगर’ शामिल हैं।
July 31st, 2011 by Smash Fascism | No Comments
मुंबई में हाल ही में हुए बम धमाकों के बाद सुब्रमणियम स्वामी ने डीएनए में सांप्रदायिक नजरिए से और घृणा फैलाने वाला एक लेख लिखा था, जिसका शीर्षक था ‘इस्लामी आतंकवाद का खात्मा कैसे किया जाए – एक विश्लेषण’. इस लेख पर प्रबुद्ध नागरिकों ने त्वरित एवं तीखी प्रतिक्रिया की। फिल्मकार राकेश शर्मा ने डीएनए में ही स्वामी के इस लेख का जवाब लिखा। हम अंग्रेजी में प्रकाशित इस लेख का हिंदी अनुवाद ‘बर्बरता के विरुद्ध’ के पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं।
December 6th, 2010 by Smash Fascism | No Comments
मोहन राव (ईपीडब्ल्यू, वॉल्यमू XLV नं. 41 अक्टूबर 09,2010 से साभार) हाल ही में मैंनेइंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ हेल्थ सर्विसेज़ को एक आलेख भेजा जो इस बात की पड़ताल करता है की किस प्रकार नव-माल्थसवादी जनसांख्यिकी विमर्श और नव-उदारवादी नीतियाँ; अस्मिता और कट्टरपंथ के विमर्श में और निश्चय ही अल्पसंख्यकों पर प्राणघातक हमलों में – जैसा की २००२ में गुजरात में हुआ – योगदान करते हैं. अब यह लगता है की यह भोलेपन की ही निशानी थी की मुझे इस बात का एहसास नहीं हुआ की तथाकथित हिन्दू विमर्श कहॉं तक पहुँच गया है. मुझे हैरानी तब हुई जब […]
May 31st, 2010 by Smash Fascism | 5 Comments
फासिस्ट ताकतें किसी भी धर्म या देश की हों, वे अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने का मौका तलाशती रहती हैं। वैसे सालों साल अल्पसंख्यकों के खिलाफ़ ज़हर उगलने का प्रचार अभियान तो जारी रहता ही है। यह हालत भारत में ही नहीं बल्कि पाकिस्तान में भी है, वहां के मुस्लिम कट्टरपंथी अल्पसंख्यकों की हत्याएं करना, तरह […]
May 16th, 2010 by Smash Fascism | 13 Comments
ईश्वर की सत्ता में यकीन रखने वाले मित्रों से एक अपील!!! आनंद सर्वशक्तिमान,सर्वज्ञानी, सर्वत्र परमपिता परमेश्वर जिनकी मर्ज़ी के बिना पत्ता भी नहीं हिल सकता,उनकी सत्ता में यकीन रखने वाले मेरे धार्मिक मित्रों!मेरी तरफ़ से अपने परमपिता से कुछ सवाल करोगे क्या? मुझे तो अधर्मी, काफ़िर होने के संगीन जुर्म मेंबिना सुनवाई के, हिटलरशहाना अंदाज़ […]
February 22nd, 2010 by Smash Fascism | 5 Comments
एक वर्ष पहले अपने ब्लॉग शब्दों की दुनिया पर गौरव सोलंकी की एक कविता पोस्ट की थी, कविता इस ब्लॉग के मिजाज के अनुकूल है, इसलिए दोबारा यहां पेश कर रहा हूं…कुछ लोगों ने इस कविता को गौरव की निराशा बताया तो, किसी ने इस पर कविता के मानदंडो पर खरा नहीं उतरने का आरोप […]