संस्कृति के रक्षकों कहो- किसकी रोटी में किसका लहू है?
February 16th, 2010 by Smash Fascism | 9 Comments
एक खासियत ये भी बताई जाती है कि हमारी संस्कृति बड़े-बुजुर्गों का आदर करना सिखाती है। यहां, गांव का एक दृश्य सवाल बनकर खड़ा हो जाता है। सत्तर बरस के बुजुर्ग बारह साल के एक बच्चे से कह रहे हैं बाबाजी गोड़ लागतानी…बच्चा कहता है खुस रह..। किसी बड़े आदमी के आंगन में सब चौकी या कुर्सी पर बैठे होते हैं और दलित बुजुर्ग नीचे ज़मीन पर उकड़ूं बैठता है। कहां गया बड़े-बुजुर्गों का आदर? सवाल जस का तस है..क्या है भारतीय संस्कृति?
