बर्बरता के विरुद्ध

स्रोत-सामग्री/Resources

फ़ासीवाद की वैचारिकी, चरित्र, उद्भव और विकास की आर्थिक-सामाजिक पृष्ठभूमि और इतिहास को समझने के लिए कुछ जरूरी सामग्री

June 5th, 2014 by Smash Fascism | No Comments

(नोट: इन पुस्तकों/लेखों/रिपोर्टों की सभी स्थापनाओं से हमारी-आपकी सहमति न ज़रूरी है, न सम्भव। अलग-अलग स्कूल के मार्क्‍सवादियों की स्थापनाओं में भी अन्तरविरोध हैं। पर इन सभी से आज के नवउदारवादी दौर में, पूरी दुनिया में और भारत में फ़ासीवादी शक्तियों के विविधरूपा नये उभार को समझने के लिए कुछ महत्वपूर्ण नुक्ते और कुछ अन्तर्दृष्टियां मिलती हैं।)


पुजारियों की पैदावार – मीरा नन्दा

November 29th, 2009 by Smash Fascism | 11 Comments

भारत के लगातार फलते-फूलते ‘देवताओं’ के बाज़ार को देख कर एक प्रश्न सहज ही दिमाग़ में आता है- ये मॉडर्न दिखने वाले पुजारी, ज्योतिषाचार्य, वास्तुशास्त्री, और अन्य कर्मकाण्डी दुकानदार आख़िर आ कहां से रहे हैं? सभी तरह के धार्मिक कर्मकाण्डों के लिये 21वीं सदी के हिन्दुओं की इस अनन्त मांग के लिये कर्मकाण्डी पुरोहितों की आपूर्त्ति आख़िर होती कहां से है?


”देसी” हिंदुत्‍व के विदेशी संबंध और प्रभाव

August 16th, 2009 by Smash Fascism | 4 Comments

उग्र हिंदुत्‍व को समझने के लिए, हमें भारत में उसकी जड़ों के साथ ही उसके विदेशी संबंधों-प्रभावों की पड़ताल करनी होगी। 1930 में हिंदू राष्‍ट्रवाद ने ‘भिन्‍न’ लोगों को ‘दुश्‍मनों’ में रूपांतरित करने का विचार यूरोपीय फ़ासीवाद से उधार लिया। उग्र हिंदुत्‍व के नेताओं ने मुसोलिनी और हिटलर जैसे सर्वसत्तावादी नेताओं तथा समाज के फ़ासीवादी मॉडल की बार-बार सराहना की। यह प्रभाव अभी तक चला आ रहा है (और इसकी वजह वे सामाजिक-आर्थिक कारण हैं जो अब तक मौजूद हैं)।


सांप्रदायिकता-धार्मिक कट्टरपंथ के खिलाफ दस्‍तावेज

July 20th, 2009 by Smash Fascism | 2 Comments

इंटरनेट खंगालने के दौरान मुझे सांप्रदायिकता और धार्मिक कट्टरपंथ के खिलाफ स्रोत के रूप में एक दस्‍तावेज मिला है, जिसमें इन विषयों पर पुस्‍तकों, लेखों, और फिल्‍मों, पत्रिकाओं, गानों आदि की सूची दी गई है। ‘बर्बरता के विरुद्ध’ के पाठकों को फ़ासीवाद, धार्मिक कट्टरपंथ आदि के खिलाफ लड़ाई में स्रोत सामग्री मुहैया कराने के उद्देश्‍य […]


‘अब संसार में ”हिन्‍दू राष्‍ट्र” नहीं हो सकता…’ — गणेशशंकर विद्यार्थी

July 18th, 2009 by Smash Fascism | 23 Comments

हमारे देश में सांप्रदायिकता से लड़ने वाले अग्रजों की कतार में निस्‍संदेह सबसे ऊपर शहीद गणेशशंकर विद्यार्थी का नाम लिया जा सकता है। वे हमें याद दिलाते हैं कि अपने विचारों के लिए जीना क्‍या होता है और प्रतिबद्धता के मायने क्‍या होते हैं। एक ऐसे दौर में जबकि मानवता के खिलाफ मानवद्रोही सांप्रदायिक ताकतें […]



हाल ही में


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