June 5th, 2014 by Smash Fascism | No Comments
(नोट: इन पुस्तकों/लेखों/रिपोर्टों की सभी स्थापनाओं से हमारी-आपकी सहमति न ज़रूरी है, न सम्भव। अलग-अलग स्कूल के मार्क्सवादियों की स्थापनाओं में भी अन्तरविरोध हैं। पर इन सभी से आज के नवउदारवादी दौर में, पूरी दुनिया में और भारत में फ़ासीवादी शक्तियों के विविधरूपा नये उभार को समझने के लिए कुछ महत्वपूर्ण नुक्ते और कुछ अन्तर्दृष्टियां मिलती हैं।)
January 30th, 2012 by Smash Fascism | No Comments
फ़ासीवाद और मुसोलिनी में भारतीय हिंदू राष्ट्रवादियों की रुचि एक आकस्मिक जिज्ञासा मात्र से पैदा नहीं हुई थी जो कुछ व्यक्तियों तक ही सीमित हो, बल्कि इसे उस मनोयोग की पराकाष्ठा का परिणाम समझना चाहिए, जिसे हिंदू राष्ट्रवादियों ने, विशेषकर महाराष्ट्र के हिंदू राष्ट्रवादियों ने इतालवी तानाशाही और इसके नेता पर केंद्रित किया था। उन्हें फ़ासीवाद में रूढ़िवादी क्रांति नज़र आई। इतालवी सरकार के पहले चरण से ही यह अवधारणा मराठी अख़बारों में विस्तृत चर्चा का विषय रही।
November 26th, 2011 by Smash Fascism | No Comments
1930 में हिंदू राष्ट्रवाद ने ‘भिन्न’ लोगों को ‘दुश्मनों’ में रूपांतरित करने का विचार यूरोपीय फ़ासीवाद से उधार लिया। इस संबंध में ‘इकोनॉमिकल एंड पोलिटिकल वीकली’ के जनवरी 2000 अंक में मारिया कासोलारी का शोधपरक लेख प्रकाशित किया गया था, जिसमें कासोलारी ने आर्काइव/दस्तावेजों से प्रमाण प्रस्तुत किए हैं।
November 22nd, 2011 by Smash Fascism | No Comments
THE Saffron Condition: Politics of Repression and Exclusion in Neolibral India is divided into three main sections, namely, Saffronisation and the Neolibral State, Logic of Caste in New India, and State and Human Rights. The book deals with the day-to-day and larger politics of the Hindutva outfits.
October 24th, 2011 by Smash Fascism | 3 Comments
यह पुस्तक मालेगांव, मक्का मस्जिद, अजमेर शरीफ और समझौता एक्सप्रेस के आतंकवादी हमलों से सम्बंधित तथ्यों को उजागर करती है और दोषियों की शिनाख़्त करती है
September 22nd, 2011 by Smash Fascism | 2 Comments
अगर हिन्दुवत्ववादी मानसिकता के आई बी अफसरों की आर एस एस एजेंडे प्रति ऐसी वफादारी और निष्ठा न होती तो आर एस एस की मूल आत्मा कब की मिट चुकी होती
November 19th, 2010 by Smash Fascism | No Comments
यह पुस्तिका फ़ासीवाद के उभार के इतिहास के सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक कारणों के विश्लेषण के साथ ही जर्मनी और इटली में फ़ासीवाद के उभार और कार्यप्रणाली की चर्चा करती है तथा उनकी विशिष्टताओं के बारे में बताती है। यह भारत में फ़ासीवादी शक्तियों की जन्मकुण्डली का ब्योरा देते हुए यहाँ फ़ासीवाद की विशिष्टताओं के बारे में बताती है तथा इससे लड़ने की रणनीति और क्रान्तिकारी शक्तियों के कार्यभारों की भी चर्चा करती है।
August 16th, 2009 by Smash Fascism | 4 Comments
उग्र हिंदुत्व को समझने के लिए, हमें भारत में उसकी जड़ों के साथ ही उसके विदेशी संबंधों-प्रभावों की पड़ताल करनी होगी। 1930 में हिंदू राष्ट्रवाद ने ‘भिन्न’ लोगों को ‘दुश्मनों’ में रूपांतरित करने का विचार यूरोपीय फ़ासीवाद से उधार लिया। उग्र हिंदुत्व के नेताओं ने मुसोलिनी और हिटलर जैसे सर्वसत्तावादी नेताओं तथा समाज के फ़ासीवादी मॉडल की बार-बार सराहना की। यह प्रभाव अभी तक चला आ रहा है (और इसकी वजह वे सामाजिक-आर्थिक कारण हैं जो अब तक मौजूद हैं)।