October 6th, 2010 by Smash Fascism | No Comments
अयोध्या निर्णय — राम पुनियानी इलाहबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच की तीन जजों की पीठ ने अयोध्या मामले में 30 सितंबर 2010 को फैसला सुनाया। आशंकाओं के विपरीत, उस दिन और उसके बाद देश में कहीं हिंसा नहीं हुई। इसका श्रेय आमजनों की परिपक्व सोच को जाता है। जहां तक इस निर्णय का सवाल […]
October 5th, 2010 by Smash Fascism | No Comments
शोहिनी घोष अयोध्या मामले का फैसला हिन्दू बहुसंख्यावाद की स्वीकारोक्ति है। इस कारण से, यह समान रूप से आस्थावनों और अनास्थावादियों दोनों की चिंता का विषय है, और इसे सर्वोच्च न्यायालय में अवश्य चुनौती दी जानी चाहिए। अयोध्या मामले में उच्च न्यायालय के फैसले के बाद से, ‘आगे बढ़ने’ और सुलह के लिए बातचीत करने […]
October 4th, 2010 by Smash Fascism | No Comments
इस फैसले पर प्रसिद्ध फिल्मकार और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी एंड डेवलपमेंट स्टडीज़ में बतौर वैज्ञानिक कार्यरत गौहर रज़ा कहते हैं : आज फिर यह कहना ज़रूरी है कि ना मुझे मस्जिद से मोहब्बत है ना मंदिर से। मैं समझता हूं कि सारे मस्जिदों-मंदिरों और दूसरी ऐसी जगहों को स्कूल में बदल देना […]
October 4th, 2010 by Smash Fascism | No Comments
30 सितम्बर 2010 को इलाहाबाद उच्च-न्यायालय की लखनऊ खण्डपीठ द्वारा राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में दिए फैसले में इतिहास,तर्क और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की जो गति हुई है वह गहन चिंता का विषय है. सर्वप्रथम यह दृष्टिकोण,कि बाबरी मस्जिद किसी हिन्दू मंदिर के स्थान पर बनाई गई थी और जिसका तीन में से दो न्यायाधीशों ने […]
October 3rd, 2010 by Smash Fascism | No Comments
Siddharth Varadarajan If left unamended by the Supreme Court, the legal, social and political repercussions of the judgment are likely to be extremely damaging New Delhi: The Lucknow Bench of the Allahabad High Court has made judicial history by deciding a long pending legal dispute over a piece of property in Ayodhya on the basis […]
October 2nd, 2010 by Smash Fascism | 3 Comments
अयोध्या में मस्जिद-मन्दिर विवाद पर उच्च न्यायालय के फैसले के बाद इसकी चहुंओर आलोचना हो रही है। इतिहासकार इस फैसले को न्यायशास्त्र की एक गलत परंपरा की शुरुआत बता रहे हैं। और सांप्रदायिकता विरोधी कार्यकर्ता, सामाजिक कार्यकर्ता आदि भी इस फैसले की आलोचना कर रहे हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए हम ‘बर्बरता के […]