May 30th, 2017 by Smash Fascism | 1 Comment
दिशा छात्र संगठन इस मामले में रिपब्लिक टीवी को कानूनी नोटिस तो भेज ही चुका है पर हमें ये भी समझना होगा कि फासीवादियों के तलवे चाटने वाले ये टीवी चैनल आगे आने वाले समय में इससे भी ज्यादा अफवाहों का सहारा लेंगे और प्रगतिशील, क्रांतिकारी व्यक्तियों व संगठनों के खिलाफ इस तरह की झूठी खबरें फैलाकर उन्हें बदनाम करने की साजिशें रचेंगे। इनका इतिहास ही झूठ का रहा है।
June 10th, 2015 by Smash Fascism | No Comments
डॉक्यूमेंट्री फिल्मकार राकेश शर्मा ने विस्तार से अपने क्राउडफंडिंग कैंपेन के बारे में बताया जो वह पिछले एक दशक में जुटायी गयी फुटेज की आर्काइविंग प्रक्रिया की फंडिंग के लिए चला रहे हैं। यह आर्काइविंग बेहद ज़रूरी है क्योंकि उन्होंने अधिकांश फिल्मांकन ऐसे टेपों पर किया है जो समय के साथ खराब होने लगते हैं। यह अभियान बेहद ज़रूरी होने की एक वजह यह है कि गोधरा दंगों पर आधारित उनकी पिछली फिल्म ‘फ़ाइनल सॉल्यूशन’ अब तक भारत में बनी सर्वाधिक प्रभावशाली सामाजिक-राजनीतिक डॉक्यूमेंट्री फिल्मों में से एक है।
April 22nd, 2015 by Smash Fascism | No Comments
By Sourav Banerjee:
It is the high time that the old rhetorics of cow(ard) politics should be challenged, based on the central question that did Hindus, especially the Vedic Indians, never consume beef?
April 22nd, 2015 by Smash Fascism | No Comments
यह आश्चर्य की बात नहीं कि मोदी की जीत के बाद आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवन ने कहा था कि हमारा समय आ गया है। आवर टाइम हैज़ कम। तो यह अनुकूल समय उनके लिए है… तभी हमें फासिज़्म के… सामाजिक-सांस्कृतिक फासिज़्म के इस तरह के रूप इस तरह देखने को मिल रहे हैं कि हम क्या खायें, क्या पहने और क्या ओढ़े, हम मीट न खायें, हमारी लड़कियां इस तरह के कपड़े न पहनें और रात में न निकलें नहीं तो उनसे बलात्कार हो जायेगा। इस तरह की बहुत सारी घटनायें हैं, इस पर उनके जिस तरह के बयान आते हैं, या कोई घटना हो जाती है, इस तरह से यह क्रम चलता जा रहा है, बढ़ता जा रहा है। और यह लगातार बढ़ता जायेगा क्योंकि संघ परिवार के जो और भी संगठन है वह भी अपने हिस्से के मांस की की मांग करेंगे। ऐसे में सांस्कृतिक फासिज़्म का प्रतिरोध किस तरह से किया जाये। मुझे लगता है कि साहित्य का एक ज़रूरी और बड़ा काम है प्रतिरोध करना। रघुवीर सहाय हमकहा करते थे कि सत्ता और साहित्य का हमेशा छत्तीस का ही आंकड़ा हो सकता है। उसको आगे बढ़ाकर कहा जा सकता है कि वह हमेशा प्रतिरोध करता है। आज जो अंतरराष्ट्रीय स्थिति है और हमारे देश की स्थिति है वह यह है कि एक लेखक को, एक कलाकार को ताक़त का प्रतिरोध करना होगा, सत्ता का प्रतिरोध करना होगा, बर्बरता का प्रतिरोध करना होगा, सांस्कृतिक वर्चस्व की जो भी घटनायें हो रही हैं उसका प्रतिरोध करना होगा और दमन का भी प्रतिरोध करना होगा।
September 20th, 2014 by Smash Fascism | No Comments
बाटला हाउस फर्जी मुठभेड़ की छठी बरसी पर रिहाई मंच ने लखनऊ में किया सम्मेलन पांच सूत्रीय प्रस्ताव हुआ पारित, बाटला हाउस फर्जी मुठभेड़ की न्यायिक जांच की मांग लखनऊ, 19 सितंबर 2014। बाटला हाउस फर्जी एनकाउंटर की छठवी बरसी पर समूचे प्रकरण की न्यायिक जांच की मांग को लेकर रिहाई मंच द्वारा ’सांप्रदायिक ध्रुवीकरण […]
September 8th, 2014 by Smash Fascism | No Comments
*आनंद सिंह* —…..आईएस के इतिहास से वाकिफ़ कोई भी व्यक्ति यह जानता है कि यह भस्मासुर इराक़ में 2003 के अमेरिकी हमले के बाद पैदा हुआ और सीरिया में 2011 के बाद से जारी गृहयुद्ध में अमेरिका द्वारा पोषित किया गया है। लेकिन आईएस जैसे बर्बर इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन की अमेरिकी साम्राज्यवादी नीतियों द्वारा पैदाइश और उनका पालन-पोषण कोई नयी बात नहीं है। अमेरिकी विदेश नीति द्वारा ऐसे भस्मासुरों को पैदा करने को का बहुत लंबा इतिहास रहा है।
September 8th, 2014 by Smash Fascism | No Comments
साथ ही इस तरह के मिथक हिंदू महिलाओं की असहायता, नैतिक मलिनता और दर्द को उजागर करते हुए उन्हें अक्सर मुसलमानों के हाथों एक निष्क्रिय शिकार के रूप में दर्शाते हैं.
September 1st, 2014 by Smash Fascism | No Comments
* सुभाष गाताडे *
अगर हम अधिनायकवाद, फासीवाद के खिलाफ संघर्ष के पहले के अनुभवों पर गौर करें तो एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया यही हो सकती है कि हम एक संयुक्त मोर्चे के निर्माण की सम्भावना को टटोलें। सैद्धान्तिक तौर पर इस बात से सहमत होते हुए कि ऐसी तमाम ताकतें जो साम्प्रदायिक फासीवाद के खिलाफ खड़ी हैं, उन्हें आपस में एकजुटता बनानी चाहिए, इस बात पर भी गौर करना चाहिए कि इस मामले में कोई भी जल्दबाजी नुकसानदेह होगी। उसे एक प्रक्रिया के तौर पर ही देखा जा सकता है – जिसके अन्तर्गत लोगों, संगठनों को अपने सामने खड़ी चुनौतियों/खतरों को लेकर अधिक स्पष्टता हासिल करनी होगी, हमारी तरफ से क्या गलति हुई है उसका आत्मपरीक्षण करने के लिए तैयार होना होगा और फिर साझी कार्रवाइयों/समन्वय की दिशा में बढ़ना होगा। कुछ ऐसे सवाल भी है जिन्हें लेकर स्पष्टता हासिल करना बेहद जरूरी है:
August 21st, 2014 by Smash Fascism | No Comments
Further, we want to bring attention to the fact that vigilante ultra nationalist rightwing groups are at present conducting an extremely abusive hate campaign against Salman on Facebook. The abusive comments on his Facebook wall have become so vicious that some even threaten to rape the women who are in support of him.
August 1st, 2014 by Smash Fascism | No Comments
आधुनिक काल का इतिहास गवाह है, हर तरह के धार्मिक कट्टरपंथ का इस्तेमाल उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद ने राष्ट्रीय मुक्ति और जन मुक्ति के संघर्षों को बाँटने और विसर्जित करने के लिए किया है। धार्मिक कट्टरपंथ का मध्ययुगीन धार्मिक विश्वदृष्टिकोण से कुछ भी लेना-देना नहीं होता। यह सारत: फासीवादी विचारधारा है जो एक आधुनिक परिघटना है।
July 27th, 2014 by Smash Fascism | No Comments
कात्यायनी
- लगभग चार दशकों बाद ऐसा नजारा सामने आया है कि पूरी दुनिया के सैकड़ों शहरों में लाखों लाख लोग जियनवादी नस्ली नरसंहार का विरोध करते हुए गाजा के संघर्षरत लोगों के पक्ष में सड़कों पर उतर आये हैं। फिलिस्तीनी मुक्ति के पक्ष में यह अन्तरराष्ट्रीय एकजुटता अपने आप में बहुत कुछ बताती है। इसके महत्वपूर्ण ऐतिहासिक निहितार्थ हैं। इसमें भविष्य के अहम पूर्वसंकेत छिपे हुए हैं।
July 19th, 2014 by Smash Fascism | No Comments
Call for an immediate cessation of the barbaric attack New Delhi, 18 July 2014. Terming the ongoing Israeli attack on the ordinary citizens of Gaza as genocide, citizens, intellectuals, artists, students-youth, women and social activists held protest demonstrations, distributed pamphlets and took out bicycle rally between 13 July to 18 July in different parts […]